अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी मिलेगी अग्रिम जमानत, राष्ट्रपति ने बिल को दी मंजूरी
इस बिल के तहत उत्तर प्रदेश के सीआरपीसी की धारा 438 के तहत संशोधन किया जाएगा। संशोधित कानून के मुताबिक अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान आरोपी के मौजूद रहने की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी। नए कानून के तहत कोर्ट के पास अग्रिम जमानत देने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें रखने का अधिकार होगा। गंभीर अपराध के मामलों में अदालत चाहे तो अग्रिम जमानत देने से इनकार भी कर सकता है।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि जिन मामलों में दोषी को फांसी की सजा मिली हो या जो मामले गैंग्सटर एक्ट के तहत दर्ज हों, उनमें अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं होगा।
2009 में भी हुई थी बिल पास कराने की कोशिश
बता दें कि साल 2009 में भी राज्य विधि आयोग ने संशोधित बिल को दोबारा लागू करने की सिफारिश की थी। इसके बाद 2010 में मायावती की सरकार ने बिल पास कर इसे केंद्र के अनुमोदन के लिए भेजा था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। बाद में केंद्र की तरफ से इसे यह कह कर वापस भेज दिया गया कि इसमें अभी कुछ बदलावों की जरूरत है।