देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार

जब मंजिल के अलावा कुछ नहीं दिखता, तो रास्ता कभी अंधेरे कुएं तक पहुंचा देता है। महाराष्ट्र में भाजपा के साथ यही हुआ। अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से न तो सफाई देते बन रही है और न ही देवेन्द्र फडणवीस कुछ नहीं कह पा रहे हैं। फडणवीस ने इस प्रकरण पर बाद में मुंह खोलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह बाद में बताएंगे कि अजित पवार ने उनसे क्या कहा था। जबकि अजित पवार ने सार्वजनिक तौर पर खुलकर कह दिया था कि वह एनसीपी छोड़ने वाले नहीं हैं।

24 नवंबर को कहा था शरद पवार उनके नेता

23 नवंबर की सुबह देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। पवार देवेंद्र फडणवीस के पास एनसीपी के सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी लेकर गए थे। अजित पवार के कहने पर कुछ एनसीपी विधायक राजभवन शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे, लेकिन शपथ ग्रहण के कुछ घंटे बाद करीब-करीब सभी विधायक शरद पवार के साथ लौट आए थे। इसके ठीक अगले दिन अजित पवार ने साफ कहा था कि वह एनसीपी में हैं और एनसीपी में ही रहेंगे।

उन्होंने यह भी कहा था कि उनके नेता शरद पवार हैं और वही रहेंगे। हालांकि इसके साथ अजित पवार ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार महाराष्ट्र में पूरे पांच साल चलेगी और वह स्थायी सरकार देंगे।

तो क्या अजीत पवार ने झूठ बोला?

26 नवंबर को उच्चतम न्यायालय का फैसला आया। फैसला आने के कुछ समय बाद अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर एनसीपी में लौट आए। वह एनसीपी के महाराष्ट्र में कद्दावर नेता बने हैं। सभी महत्वपूर्ण बैठकों में पहले की तरह हैं। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने, विधायक दल का नेता बनाए रखने तक की चर्चा चल रही है। इतना ही 28 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में उनकी बड़ी भूमिका रहने वाली है। उनके नेता भी शरद पवार ही हैं।

बस फर्क है कि वह भाजपा के साथ गए थे और अब लौट आए हैं। अजीत पवार के एनसीपी के साथ बने रहने पर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का पूरा प्रकरण न तो उससे उगला जा रहा है और न ही निगल जा रहा है। यहां तक कि शिवसेना के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एनसीपी की सरकार भी उसे हमज नहीं हो रही है।