अगर नरेंद्र मोदी PM बने तो चीन और पाकिस्तान की आएगी शामत?
अगर नरेंद्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद पर भारत का रुख मजबूत हो सकता है. अंग्रेजी समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मोदी के दो अहम सलाहकारों ने ऐसा दावा किया है.अपने प्रचार अभियान के दौरान मोदी चीन को उसकी ‘विस्तारवादी मानसिकता’ के लिए चेता चुके हैं. उनके भाषणों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद हमेशा एक मुद्दा रहा है और वह पड़ोसी मुल्क को सख्त लहजे में जवाब देने के हिमायती हैं.
पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश में अपनी रैली के दौरान मोदी ने कहा था, ‘मैं मिट्टी की सौगंध खाता हूं कि देश की रक्षा करूंगा.’ गौरतलब है कि अरुणाचल के कुछ हिस्सों पर चीन अपना दावा ठोंकता रहा है.
मोदी सत्तारूढ़ यूपीए सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कमजोर मानते रहे हैं. हालांकि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, भारत सैन्य उपकरण खरीदने के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में से है. भारत ने 2007 से 2011 के बीच 12.7 बिलियन डॉलर के हथियार खरीदे.
अर्थव्यवस्था आधारित विदेश नीति होगी मोदी की?
मोदी के दोनों सलाहकारों ने कहा कि उनकी विदेश नीति मजबूत होने के साथ आंतरिक मुद्दों पर भी नियंत्रण रखने वाली होगी, ताकि अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने पर फोकस किया जा सके. बीजेपी का घोषणा पत्र तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले एक सलाहकार ने बताया, ‘हमारी विदेश नीति अर्थव्यवस्था आधारित होगी. मकसद होगा कि अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत बना लिया जाए कि पड़ोसी देशों से आप अपनी शर्तों पर डील कर सकें.’
शक्ति और शांति का होगा संतुलन?
सलाहकारों के मुताबिक, मोदी बतौर प्रधानमंत्री भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा करने और चीन से व्यापारिक संबंधों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में काम करेंगे. मोदी ने कभी अपनी विदेश नीति का स्पष्ट खाका पेश नहीं किया लेकिन वह 1998 में परमाणु परीक्षण करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों की कई बार प्रशंसा कर चुके हैं. अटल ने ‘शक्ति और शांति’ पर आधारित विदेश नीति की बात कही थी.
सीमा पर मिलेगा करारा जवाब?
मोदी के सलाहकार ने कहा, ‘चीन अब समझ जाएगा कि नए प्रधानमंत्री डरपोक नहीं होने वाले हैं और वे कोई हरकत नहीं करेंगे.’
बीजेपी देश की नौसेना को मजबूत करना और सीमा उल्लंघन के करारे जवाब की हिमायती है. वह चीनी सीमा के नजदीक तिब्बती पठार पर सड़क निर्माण और कम्युनिकेशन लाइन बिछाने में तेजी लाना चाहती है ताकि इलाके में चीन के बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर को चुनौती दी जा सके.
अफगानिस्तान से सेना वापसी का असर?
सलाहकारों में से एक ने कहा, ‘आतंकवाद जैसे मुद्दों पर आप और राष्ट्रवादी एप्रोच देखेंगे.’ पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत राजीव डोगरा को भी लगता है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो घरेलू दबाव और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी की वजह से पैदा होने वाली स्थितियों के मद्देनजर, भारत की विदेश नीति पहले के मुकाबले आक्रामक हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘इस बार अगर सरकार बदलती है तो मुझे परंपरा टूटने की उम्मीद है.’