जयपुर.- हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ चल रही याचिकाओं को खारिज करते हुए प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण से रोक हटा ली है। हालांकि नए आरक्षण कानून के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के समय सभी कानूनी पहलू उठाने की छूट दी है।

न्यायाधीश अजय रस्तोगी व न्यायाधीश जे के रांका की खण्डपीठ ने गुरुवार को मुकेश सोलंकी व कैप्टन गुरविन्दर सिंह की याचिकाओं को खारिज कर दिया। सोलंकी की याचिका खारिज होने से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर रोक भी समाप्त हो गई है। शेष याचिकाओं को लम्बित रखा गया है।

प्रार्थीपक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस पी शर्मा व अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी ने गुरुवार को कोर्ट से कहा कि याचिका को सारहीन मानते हुए खारिज न किया जाए क्योंकि उसमें संपूर्ण आरक्षण को चुनौती दी गई है। इसमें विकास अध्ययन संस्थान व राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने 22 दिसम्बर 2010 को वर्ष 2008 के आरक्षण कानून के खिलाफ याचिका का मामला राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजा था।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता नरपतमल लोढ़ा ने कहा कि वर्ष 2008 के आरक्षण कानून के स्थान पर नया कानून आ चुका है। विशेष पिछड़ा वर्ग को 5 प्रतिशत आरक्षण के लिए नया कानून लागू हो गया है, जबकि आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण के लिए कानून लागू होना है। एेसे में याचिका सारहीन मानते हुए खारिज की जाए।

उधर, श्री सवाई भोज एवं देवनारायण मंदिर ट्रस्ट और रेबारी समाज की ओर से अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह धाभाई ने पक्षकार बनने की अर्जी लगाई है। प्रार्थना पत्र में कहा है कि आवेदक लाभार्थी पक्ष से संबंधित हैं, इसलिए नए कानून पर फैसला लेने से पहले उनको भी सुनवाई का मौका दिया जाए।

आरक्षण के अहम पड़ाव

नवम्बर 2012- राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए रिपोर्ट राज्य सरकार को दी।

30 नवम्बर 2012- विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी, दो माह बाद लागू होनी थी।

29 जनवरी 2013- हाईकोर्ट ने नए आरक्षण पर रोक लगाई

4 मार्च 2013- हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि रोक 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर लागू रहेगी, एसबीसी को एक प्रतिशत आरक्षण देने की छूट दी।

22 सितम्बर 2015- एसबीसी के लिए 5 व ईबीसी के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक को विधानसभा से मंजूरी

16 अक्टूबर 2015- एसबीसी के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण लागू