भोपाल। भारत में बिना वीजा के रह रही उजबेकिस्तानी महिला डी जुरईवा बार्नो को अदालत ने 10 महीने कैद की सजा सुनाई है। यह फैसला गुरुवार को एसीजेएम अजय सिंह ठाकुर ने सुनाया। उजबेकिस्तानी महिला को 9 दिसंबर 2015 को मिसरोद पुलिस थाने ने फोरेनर्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। इससे पहले जुरईवा अपना वीजा बनवाने एसपी हेडक्वाटर्स पहुंची थी जिसे वहां से मिसरोद थाने भेजा गया था।

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थाने में उसने बताया था कि वह नेपाल में वीजा लेकर रह रही थी, जहां से वह बेहोशी की हालत में भारत आ गई। वह कुछ दिन दिल्ली में रही तभी उसे एक व्यक्ति भोपाल ले आया। उसने उसे आश्वासन दिया था कि वह उसका वीजा बनवा देगा। वह दोनों मिसरोद क्षेत्र में एक मकान लेकर रह रहे थे। वह पुलिस को भारत में अवैधरूप से रहने के संबंध में संतोषजनक जवाब देने में असफल रही थी। पुलिस ने संदेह के आधार पर उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अदालत में पेश किया था। जुराईवा 10 दिसंबर 2015 से निरंतर जेल में रह रही है।

न्यायिक हिरासत में दिया बच्चे को जन्म

उजबेकिस्तानी महिला जुराईवा बार्नो गिरफ्तारी के समय से ही गर्भवती थी। उसे न्यायिक हिरासत के दौरान सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसने बच्चे को जन्म दिया। वह 217 दिनों से जेल में है इसलिए उसको अदालत द्वारा दी गई सजा भी जल्द समाप्त होने जा रही है।