अहमदाबाद, (पीटीआई)। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने के प्रदेश सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में कहा कि यह कदम संविधान की भावना के खिलाफ है। यह समाज का विभाजन करने वाला फैसला है।

मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति वीएम पांचोली की पीठ के सामने दिए जवाब में याचिकाकर्ता ने सरकार की यह दलील मानने से इनकार कर दिया कि यह आरक्षण नहीं बल्कि वर्गीकरण है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार के वर्गीकरण ने आर्थिक आधार पर समाज को दो वर्गो में विभाजित कर दिया जो संविधान की भावना के विपरीत है। ऐसा आरक्षण मेधावी छात्रों से सरासर अन्याय है। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 में प्रदत्त अधिकार का सरासर उल्लंघन है।