जानें क्या है बलूचिस्तान का मुद्दा, जो पाकिस्तान के लिए है सोने की खान
नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गिलगित और बलूचिस्तान के जिक्र से पाकिस्तान बौखला गया है. पाकिस्तान के बलूच नेताओं को बातचीत का न्योता देने के बाद सरताज अजीज का बयान सामने आया है. पीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान कश्मीर मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है.
सरताज अजीज के बयान के मुख्य अंश
पीएम मोदी ने पिछले पांच हफ़्तों से कश्मीर के हालात से ध्यान भटकाने की कोशिश की है
कश्मीर की घटनाओं का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं
ये कश्मीरियों के आत्म निर्णय और अधिकार का सवाल
बलूचिस्तान का ज़िक्र करने से पाक का दावा सही साबित होता है कि भारत अपनी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ की मदद से बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है
विरोध की आवाज़ को दबाने वाला देश महान नहीं बनता
भारत को समझना चाहिए कि कश्मीर का मुद्दा गोलियों से नहीं हल हो सकता है
भारत और पाक के बीच बातचीत से ही कश्मीर मुद्दे का हल
बलूचिस्तान के हालात
बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. यह पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का आधा है. पाकिस्तान की आबादी का 3.6% यहां रहता है. यह पाकिस्तान का बहुत पिछड़ा-ग़रीब क्षेत्र है, लेकिन खनिज के क्षेत्र में समृद्ध है, जिसका लाभ यहीं की जनता को नहीं मिल पा रहा है. 1948 से ही ये लोग आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना का दमन यहां जारी है. सेना पर शांति के नाम पर हजारों लोगों की गिरफ्तारी, अपहरण और ह्त्याओं के आरोप हैं. सेना-सरकारी नौकरियों में बलूचियों पर रोक लगा रखी है.
बलूचिस्तान पाकिस्तान के सोने की खान है. 1952 में यहां के डेरा बुगती में गैस भंडार मिला था. 1954 में गैस उत्पादन शुरू हो गया. बलूचिस्तान को छोड़ दूसरे हिस्सों में सप्लाई हुई. 1985 में जाकर गैस पाइपलाइन से क्वेटा जुड़ा. 2002 में चगई मरुस्थल में सड़क परियोजना शुरू की गई. चगई मरुस्थल के रास्ते चीन से व्यापार का रास्ता है. सोना, चांदी, तांबा के उत्पादन की योजना है. इस लाभ में चीन को 75%, पाकिस्तान को 25% मिला लेकिन इस क्षेत्र को महज 2 प्रतिशत हिस्सा मिला. पाकिस्तान की कुल प्राकृतिक गैस का एक तिहाई यहीं से निकलता है. सुई के स्थान पर जो गैस पैदा होती है उसकी आपूर्ति पूरे पाकिस्तान में होती है लेकिन प्राप्त रॉयल्टी का बहुत थोड़ा हिस्सा ही केन्द्रीय सरकार बलूचिस्तान को देती है.
विवाद तो पाकिस्तान बनने के कुछ समय बाद ही शुरू हो गया था
पाकिस्तान बनने के कुछ दिन बाद से ही बलूचिस्तान को लेकर विवाद की शुरुआत हो गई थी. 15 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान ने आजादी का ऐलान भी कर दिया था लेकिन 1948 में उन्हें दबाव के तहत पाक के साथ मिलना पड़ा. प्रैल 1948 में पाक सेना ने मीर अहमद यार खान को जबरन अपना राज्य कलात छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. उनसे कलात की आजादी के खिलाफ एग्रीमेंट साइन करवा लिए गए.
पीएम मोदी ने किया था भाषण में जिक्र
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जनता ने अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार के मुद्दों को उठाने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया था. दरअसल,पीएम मोदी ने शुक्रवार को कश्मीर पर एक सर्वदलीय बैठक में अपने भाषण में बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अत्याचारों के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया था. उन्होंने कहा कि उन इलाकों की जनता ने उसके बाद से उनका शुक्रिया अदा किया है और वह उनके आभारी हैं. यह उनका नहीं बल्कि पूरे देश का सम्मान है.