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विश्व हिंदू परिषद ने ‘घर वापसी’ अभियान के साथ काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि मंदिर निर्माण की भी मुहिम छेड़ दी है। अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की ओर से आयोजित अशोक सिंहल स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे पूर्व न्याय मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इसके लिए जमीन अधिग्रहण की मांग उठाई तो भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने भी इस पर सहमति जताई। साथ ही सभागार में मौजूद लोगों हर-हर महादेव के नारा के साथ इस घोषणा का स्वागत किया।

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विहिप की ओर से ‘घर वापसी’ अभियान की घोषणा की गई थी, लेकिन अब उसके एजेंडे में दोनों स्थानों पर मंदिर निर्माण का मुद्दा भी शामिल है। रविवार को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सभागार में धर्म : समग्र विकास सनातन मार्ग विषय पर आयोजित अशोक सिंहल स्मृति व्याख्यान में डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि  धर्म आस्था का विषय है।

राम जन्म भूमि मामले में करोड़ों हिंदुओं की आस्था ही फैसले का आधार बनी। अब लोग पूछने लगे हैं कि काशी और मथुरा में मंदिर कब बनेगा। लोग पूछते हैं कि इन दोनों मंदिर के लिए कब न्यायालय जा रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद पहले ही तय कर चुके हैं कि  इन स्थानों और वहां मंदिर से करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी है। इसलिए ये तीन स्थान हमें चाहिए। इसके लिए जल्द ही कदम उठाया जाएगा।

डॉ. स्वामी के संबोधन के दौरान ही बतौर वक्ता मंच पर बैठे डॉ. जोशी ने इस मांग का समर्थन किया और कहा, ‘आप स्वामी हैं और आपको कहीं भी जाने की आजादी है।’  इसी क्रम में डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि  काशी विश्वनाथ और मथुरा में मंदिर के लिए न्यायालय जाने की भी जरूरत नहीं है। सरकार राष्ट्रहित में दोनों भूखंड का राष्ट्रीयकरण कर सकती है, लेकिन इससे पहले माहौल बनाना होगा।

उन्होंने कहा, आज हिंदुओं को पुनर्स्थापित करने की जरूरत है। इसके लिए सही इतिहास को सामने लाना होगा। उन्होंने संस्कृत की महत्ता पर भी चर्चा की तथा इसे स्थापित करने की जरूरत बताई। डॉ. सुब्रमण्यम ने अशोक सिंहल के साथ संबंधों पर भी प्रकाश डाला।

अंग्रेजी अनुवाद रिलीजियस ने बिगाड़ा धर्म का अर्थ

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली जोशी ने धर्म को व्यापक और सनातन बताया। अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की ओर से ‘धर्म : समग्र विकास का सनातन मार्ग’ विषय पर अशोक सिंहल स्मृति व्याख्यान में डॉ. जोशी ने कहा, अंग्रेजी अनुवाद ‘रिलीजियस’ ने धर्म का अर्थ बिगाड़ दिया।

इसे पंथ से जोड़ दिया। जबकि, धर्म सही मायने में बहुत व्यापक है। विषय की व्याख्या करते हुए उन्होंने ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) के बजाय ‘ग्रास धार्मिक प्रोडक्ट’ सूत्र को अपनाने की बात कही। भूटान ‘ग्रास हैप्पिनेस प्रोडक्ट’ पर काम भी कर रहा है।

डॉ. जोशी ने कहा, सृष्टि का अपना नियम और उसी के अनुसार सबकुछ चल रहा है। यह सृष्टि का धर्म है। इसी तरह से मनुष्य के लिए भी नियम हैं। इस पर चलना ही उसका धर्म है। इसमें सभी लोग समाहित हैं। इसमें विद्वेष, नफरत आदि के लिए स्थान नहीं है, जिससे भी अच्छा हो सके वही धर्म है। सभी पूजा पद्धति के लोग इसमें समाहित हैं, जबकि रिलीजन एक पंथ की बात करता है।

डॉ. जोशी ने कहा कि धर्म स्थान, परिस्थिति के अनुसार परिवर्तनशील भी है। इसलिए महापुरुषों के मार्ग पर चलने की बात कही। उन्होंने विभिन्न मुकदमों में फंसे महात्माओं पर कटाक्ष किया। डॉ. जोशी ने धर्म की स्थापना के लिए आर्थिक असमानता की खाई पाटने की भी बात कही। साथ ही विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के दोहन को खतरनाक बताया।

अध्यक्षता कर रहे पीठ के अध्यक्ष डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने हिंदुत्व के महत्व पर चर्चा की। कहा कि भारत एक फिर धर्म आधारित आध्यामिक राष्ट्र बनेगा और संपूर्ण विश्व उसके नेतृत्व में आगे बढ़ेगा।