Former BJP Chief Minister Shivraj Singh Chauhan,s demand is not considered in the BJP
मध्यप्रदेश में एक समय ऐसा था जब शिवराज सिंह चौहान जो चाहते थे पार्टी में वही होता था। जबसे भाजपा मध्यप्रदेश में हारी है तबसे मानो शिवराज की शक्तियां सीमित हो गई हैं। अब शिवराज जो चाहते हैं पार्टी में वो नहीं होता। पूर्व मुख्यमंत्री राज्य की सियासत में ही सक्रिय रहना चाहते थे और यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज ने अपने पहले ही बयान में साफ तौर पर ऐलान किया था, ‘मैं केंद्र में नहीं जाऊंगा, मध्यप्रदेश में जिऊंगा और मध्यप्रदेश में ही मरूंगा।’

शिवराज के इस बयान के बाद उनको पार्टी की तरफ से संदेश आया कि वो राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो जाएं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवराज खुद को या अपने किसी चहेते को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मदारी दिलाना चाहते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ। कभी शिवराज के खिलाफ सीधी अदावत रखने वाले गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

विधानसभा चुनाव में मिली हार और उसके बाद दिए गए बयानों के बाद शिवराज विधानसभा के पहले सत्र में पूरी तरह सक्रिय दिखे, मगर पार्टी ने इसी बीच उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया। इस पर कांग्रेस की ओर से तंज भी कसे गए। राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ‘राज्य से टाइगर को निष्कासित कर दिल्ली भेज दिया गया।’