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मुंबई: आरबीआई के वर्तमान गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त होने के बाद केंद्रीय बैंक के गवर्नर का पद संभालने जा रहे उर्जित पटेल अपनी उन व्यावसायिक और शैक्षणिक योग्यताओं के लिए सम्मानजक छवि रखते हैं जो उनके नए रोल को सफलतापूर्वक चलाने के लिए जरूरी मानी जाती है. उन्हें जुलाई 2013 को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और इस साल जनवरी में उनका कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाया गया था.

रिजर्व बैंक के भीतर उर्जित पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह बड़ी मीटिंग और मुलाकातें करने से बचते हैं. उनकी यह ‘आदत’ उनके पहले के डिप्टी गवर्नरों से अलग है जोकि अक्सर जनता से जुड़े कार्यक्रमों में व्यस्त रहते थे. वह भाषणादि भी कम देते हैं और वह मीडिया में इंटरव्यू देने में भी उनकी दिलचस्पी कम रहती है. आमतौर पर ‘निर्जन’ तरीके से या कहा जा सकता है कि एकांत में काम करते हैं और कई बार तुनकमिजाज भी करार दिए जाते हैं.

डॉक्टर पटेल के साथ काम कर चुके एक अधिकारी ने बताया- उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी उनकी खुद की कम्यूनिकेशन स्किल्स. वह केवल उन्हीं के साथ बातचीत करने को प्राथमिकता देते हैं जिनके साथ वह सहज महसूस करते हैं और ऐसे लोग बेहद कम हैं.

रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर बनने जा रहे उर्जित पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं. फिर उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. फिल और येल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से पीएचडी की. पटेल के पास दो दशक का ऊर्जा, बुनियादी ढांचों और वित्त क्षेत्र में कार्यों का अनुभव है. आईबीआई के अलावा वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी काम कर चुके हैं.

अब इससे सवाल खड़े होते हैं कि डॉक्टर पटेल अपनी भूमिका में जनसंवाद के पहलू को किस प्रकार से निभाएंगे. आरबीआई की नई मॉनिटेरी पॉलिसी कमिटी के लिए उन्हें पांच और सदस्यों की सहमति की जरूरत होगी. उन्हें राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बैंकों के अध्यक्षों से भी काफी नजदीकी के साथ काम करना होगा. आरबीआई को बैड लोन, जोकि करीब 8 लाख करोड़ रुपए का है, से निपटने के लिए यह करना जरूरी होगा.