जोशी पीएम नरेंद्र मोदी के कट्टर विरोधी माने जाते हैं।

कपिल दवे, गांधीनगर
पीएम नरेंद्र मोदी और संजय जोशी के बीच की तल्खी राजनीतिक गलियारों में किसी में छिपी नहीं है। हालांकि, खबरों की मानें तो जोशी अब मोदी के फैन हो चले हैं। पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और फिर नोटबंदी से जुड़े मोदी के फैसलों का जोशी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर जमकर तारीफ कर चुके हैं।

जोशी के रुख में यह बदलाव आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। जोशी के सार्वजनिक तौर पर मोदी की कई बार तारीफ करने के बाद उनके बीजेपी में वापसी के कयासों को बल मिलने लगा है।

जोशी के एक समर्थक ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘हालांकि उन्होंने (जोशी) हमसे कुछ कहा नहीं है, लेकिन वह नियमित तौर पर पीएम की कोशिशों की तारीफ कर रहे हैं और आलाकमान को इस बात की जानकारी है।’

 जोशी समर्थक ने कहा, ‘वह पार्टी में नई भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। दोनों ही नेताओं को संघ का पूरा समर्थन हासिल है। अगर पार्टी का वर्तमान नेतृत्व जोशी को कोई अहम जिम्मेदारी देता है तो इससे बीजेपी को गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों में फायदा मिलेगा।’

मोदी और जोशी के बीच की तल्खी दो दशक पुरानी है। मोदी के 2001 में गुजरात का सीएम बनने से पहले जोशी का लंबे वक्त तक गुजरात बीजेपी पर नियंत्रण था। मोदी का बीजेपी में कद बढ़ने के साथ-साथ जोशी हाशिए पर चले गए। 2014 आम चुनाव से पहले, जोशी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया, लेकिन उन्हें कुछ ही दिन में हटा दिया गया। हालांकि, जोशी के अब भी गुजरात और राष्ट्रीय बीजेपी में काफी समर्थक हैं।

मोदी और जोशी, दोनों ने ही अपने करियर की शुरुआत आरएसएस प्रचारक के तौर पर की थी। बाद में उन्होंने बीजेपी में जिम्मेदारी संभाली। दोनों ने ही गुजरात में पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई।