अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल बृहस्पतिवार को गांधीनगर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए पहुंची। उल्लेखनीय है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए अमेरिका को महीनों मशक्कत करनी पड़ी। सियासी मौसम में परिवर्तन का नारा बुलंद कर रहे भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने सुनिश्चितकिया कि रुख बदल रहे अमेरिका को भी संदेश स्पष्ट रहे कि अब उसे गांधीनगर का रुख करना होगा। गांधीनगर में आज अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल और मोदी की मुलाकात से पहले तीन बार दिल्ली में मुलाकात के प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ सके। इस बीच अमेरिका ने मोदी-पावेल मुलाकात पर पर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की नुक्ताचीनी को खारिज कर दिया है।

चुनावी फिजा में पावेल और मोदी की मुलाकात के लिए पर्दे के पीछे बीते चार महीनों के दौरान खासे प्रयास हुए। ट्रैक-टू संपर्क के इस प्रयास में कई अमेरिकी सांसद और कारोबारी जगत के लोग भी शामिल थे। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक दिल्ली में पावेल की मेजबानी में भोज के न्योते का प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ पाया। दिल्ली के गुजरात भवन में सीधी मुलाकात की पेशकश को भी खास तवज्जो नहीं मिल सकी।

मोदी पर नरम पड़ा अमेरिका

हालांकि गत 14 जनवरी को मकर संक्रांति समारोह के दौरान ‘मित्रता-दूतों’ की ओर से रखे गए गांधीनगर में अमेरिकी राजदूत से मुलाकात के प्रस्ताव पर मोदी ने सहमति जता दी। इसके बाद जनवरी के अंतिम सप्ताह में अमेरिकी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को दरख्वास्त भेजी। विदेश मंत्रालय ने भी दोनों के बीच होने वाली बातचीत के ऐजेंडे को तौलने के बाद इसकी हरी झंडी दे दी।

नौ साल की दूरी के बाद मोदी से संपर्क की इस पहल को अमेरिका बड़ा बदलाव करार देने से कतरा रहा है। अमेरिकी विदेश ंिवभाग के प्रवक्ता के मुताबिक यह मुलाकात भारत में राजनीति और कारोबार जगत में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से संपर्क बढ़ाने के प्रयास से अधिक कुछ नहीं है। यह बात और है कि मोदी से अमेरिकी राजदूत की मुलाकात को लेकर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की नुक्ताचीनी को अमेरिका ने सिरे से खारिज कर दिया है। खुर्शीद द्वारा गुजरात दंगों की तुलना यहूदी नरसंहार से किए जाने को नकारते हुए विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि ऐसे किसी विचार को हम खारिज करते हैं।

मोदी के प्रति नजरिया बदलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भारत में विभिन्न स्तर पर राजनीति व कारोबार जगत की शख्सियतों से मेलजोल बढ़ाने का प्रयास है। मोदी को अमेरिकी वीजा के सवाल पर उन्होंने कहा, अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। वीजा के लिए आवेदन किए जाने पर हम अमेरिकी कानून व नीति के तहत ही उस पर फैसला करेंगे।