खास बातें

  • चार महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी विदेश यात्रा पर नहीं जाएंगे।
  • राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी के हार के बाद उनका रोल और भी बढ़ जाएगा।
  • जून 2014 से अबतक प्रधानमंत्री मोदी ने 48 विदेश यात्राएं की है।
नए साल के पहले चार महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी विदेश यात्रा पर नहीं जाएंगे। इस बात की पुष्टि सरकार से जुड़े सूत्र कर रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा ध्यान लोकसभा चुनावों पर होगा। पिछले साल प्रधानमंत्री ने 14 विदेश यात्राएं की थी मगर आगामी साल के पहले चार महीनों में प्रधानमंत्री का विदेशी भूमि पर कोई भी द्विपक्षीय कार्यक्रम नहीं है।

प्रधानमंत्री के अलावा नरेंद्र मोदी भाजपा के स्टार प्रचारक भी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी के हार के बाद उनका रोल और भी बढ़ जाता है। प्रधानमंत्री मोदी अगले साल 21 से 23 जनवरी तक वाराणसी में चलने वाले प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे।

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प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में अक्टूबर में आसियान समिट में शामिल होने सिंगापुर गए थे। इसके अलावा नवंबर में उन्होंने उन्होंने मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलह के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए मालदीव की यात्रा की थी।

हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में भाजपा हाल ही में सत्ता से बाहर हुई है। राजस्थान में जहां कुछ महीने पहले तक कांग्रेस प्रचंड बहुमत हासिल करते दिख रही थी मगर मोदी के भीषण प्रचार ने इसे कांटे की टक्कर में बदल दिया। भले ही भाजपा की हार हुई मगर यह करीबी मुकाबला दिखाता है कि मोदी अपनी पार्टी के लिए कितने जरुरी हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को गांवों से जुड़े कई मुद्दे अभी सुलझाने है। सत्ताधारी गठबंधन के सामने महागठबंधन का मुकाबला करने की भी चुनौती है।

जून 2014 से अबतक प्रधानमंत्री मोदी ने 48 विदेश यात्राएं की है। अधिकारियों की मानें तो अगले कुछ महीनों तक प्रधानमंत्री मोदी की कोई भी विदेश यात्रा नहीं है। दक्षिणी एशियाई देशों की यात्रा जरूर प्रस्तावित है मगर अभी उसकी तारीख निर्धारित होना बाकी है।

भूटान के प्रधानमंत्री लोताय शेरिंग गुरूवार से तीन दिनों के लिए भारत के दौरे पर आ रहे है। माना जा रहा है कि शेरिंग भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को भूटान आने का निमंत्रण दे सकते हैं। भारत भूटान के रिश्तों को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत इस न्योते को स्वीकार कर ले।