बंद होगा सेमेस्टर सिस्टम, 30 साल बाद शुरू होंगे प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव

भोपाल.प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में अगले सत्र से सेमेस्टर सिस्टम खत्म हो जाएगा। नौ साल बाद फिर से वार्षिक परीक्षा पद्धति लागू होगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव शुरू हो जाएंगे। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने बुधवार को इसकी घोषणा एबीवीपी के प्रदर्शन के दौरान की। चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे या अप्रत्यक्ष से, इस पर फैसला बाकी है।
abvp-thumb
हालांकि पवैया ने यह भी कहा कि छात्रसंघ चुनाव तो होंगे, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि परिसर में अनुशासन बना रहे। उन्होंने न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण होने के तुरंत बाद ही प्राचार्य और प्राध्यापक के पदों पर पदोन्नति का भी आश्वासन दिया। यह भी एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिदरे ने इसे छात्रों की जीत बताया है।
 jaibhan-singh-pawaiya
इन मांगों पर भी बनी सहमति
1.अगले सत्र से एडमिशन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाते हुए इसका सरलीकरण किया जाएगा।
2.प्रदेश में छात्रावासों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
3.एससी-एसटी के छात्रों की स्कॉलरशिप बढ़ाने पर होगी चर्चा।
4.सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए होने वाली नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाएगी सरकार।
5.बाकी मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए सरकार उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, कृषि शिक्षा और आदिवासी विकास विभाग के साथ समन्वय बनाने के लिए चर्चा करेगी।
प्रदेश के छात्रसंघ चुनावों पर एक नजर…
-प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ चुनाव 1987 के बाद से बंद हो गए थे।
-1994 तक यह चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से आयोजित किए जाते रहे। – 2003 में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने चुनाव के दौरान होने वाली हिंसा को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
– 2005 में मेरिट के आधार पर चुनाव हुए थे, जो अगले दो साल तक चले।
– वर्ष 2006 में उज्जैन में हुए प्रो. सभरवाल कांड के कारण सरकार ने एक बार फिर छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी थी।
-छात्र संगठनों की मांग पर सरकार ने सत्र 2010-11 व 2011-12 में चुनाव कराए थे। इसके बाद से अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं।
-2014 में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने को मंजूरी देने के बाद से ही मध्यप्रदेश में भी चुनाव की मांग तेजी से उठने लगी थी।
शिक्षा का स्तर गिराने वाले फैसलों पर बड़े सवाल
-शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिहाज से मध्य प्रदेश ने 2008-2009 में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया था। अब जब टाॅप इंस्टीट्यूट इसे लागू कर रहे हैं तो ऐसा क्या कारण है कि मध्य प्रदेश को इससे पीछे हटना पड़ रहा है?
-2006 में उज्जैन के सभरवाल हत्याकांड के बाद छात्रसंघ चुनाव बंद किए गए थे। उद्देश्य था कॉलेजों में बढ़ती अराजकता पर लगाम लगाना। सरकार को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई जो फिर से चुनाव शुरू करने का फैसला लेना पड़ा?