मुश्किलों में घिरी एयरलाइंस जेट एयरवेज  के संस्थापक एवं चेयरमैन नरेश गोयल , उनकी पत्नी अनीता गोयल कंपनी के निदेशक मंडल से हटेंगे. कंपनी ने नियामक को इसकी जानकारी दी है. कंपनी ने बताया कि यह निर्णय सोमवार को यहां हुई निदेशक मंडल की बैठक में लिया गया. कंपनी ने शेयर बाजारों को बताया कि नरेश गोयल और अनीता गोयल के साथ ही एतिहाद एयरवेज पीजेएससी के एक नामित सदस्य निदेशक मंडल से इस्तीफा देंगे. कंपनी ने कहा कि उसे बैकों से तत्काल 1,500 करोड़ रुपये का वित्तपोषण मिलेगा. बैंक इस एवज में कंपनी के निदेशक मंडल में दो सदस्यों को नामित करेंगे और एयरलाइन के दैनिक परिचालन के लिये अंतरिम प्रबंधन समिति बनायी जाएगी. अबू धाबी स्थित एतिहाद की जेट एयरवेज में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. नरेश गोयल अब कंपनी के चेयरमैन भी नहीं रहेंगे. कंपनी के 80 से अधिक विमान परिचालन से बाहर हो चुके हैं. इनमें से 54 विमानों को लीज की किस्त नहीं चुका पाने के कारण खड़ा कर दिया गया है. कंपनी अप्रैल अंत तक कम से कम 14 अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ानें भी निलंबित कर चुकी है.

बता दें कि लगातार घाटे में चल रही और नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज पिछले चार महीने से कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं दे पाई है. पूर्ण विमानन सेवा कंपनी जेट एयरवेज गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. इसकी वजह से उसे अपने कई विमानों को खड़ा करना पड़ा है और साथ ही वह कर्मचारियों के वेतन भुगतान तथा ऋण भुगतान में विलंब कर रही है.

इससे पहले नकदी संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज को लेकर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि इस मामले में दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया अपनाने से बेहतर परिणाम कंपनी और कर्जदाताओं के बीच बातचीत से सामने आ सकते हैं. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कर्जदाता और कर्जदार बातचीत कर रहे हैं. यह सबसे अच्छी प्रक्रिया है.” श्रीनिवास इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या जेट एयरवेज दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के लिये एक अनुकूल मामला है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि कर्जदाताओं और कर्जदारों के बीच बातचीत से बेहतर परिणाम सामने आते हैं तो यह दिवाला एवं ऋणशोधन की प्रक्रिया में जाने से बेहतर होगा, लेकिन यदि दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया ही एकमात्र रास्ता बचा हो तो बैंकों को कदम उठाना होगा.” श्रीनिवास ने आईबीसी को अंतिम उपाय बताते हुए कहा कि यदि कंपनी के भीतर फिर से स्थिति ठीक करने की क्षमता शेष हो तो कंपनी और कर्जदाताओं दोनों के लिये यही बेहतर है कि वे मामले का समाधान निकालने की कोशिश करें. उन्होंने कहा, ‘‘यदि कर्जदाताओं और शेयरधारकों के बीच कोई करार नहीं है तब आपको आईबीसी सहित अन्य विकल्पों पर गौर करना होगा.”

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स्टेट बैंक की अगुवाई में बैंकों का एक समूह जेट एयरवेज को संकट से उबारने का प्रयास कर रहा है. उनका मानना है कि निजी क्षेत्र की इस एयरलाइन का धाराशायी होना न तो ग्राहकों के लिये और न ही प्रतिस्पर्धा के लिहाज से ठीक होगा. एसबीआई प्रमुख रजनीश कुमार ने बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी. जेट एयरवेज अपने केवल एक तिहाई बेड़े का उपयोग कर पा रही है. एयरलाइन कर्ज की किश्तें नहीं चुका पा रही है और पायलटों का वेतन भी समय पर नहीं मिल रहा है. स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र के साथ बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी.

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कुमार ने कहा था कि यह मुलाकात देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन की स्थति के बारे में सरकार को जानकारी देने के लिये थी क्योंकि सरकार भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है. उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि यह बैठक प्रोत्साहन पैकेज पर चर्चा के लिये नहीं थी. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा था कि जेट एयरवेज को परिचालन में बनाये रखना कर्जदाताओं तथा उपभोक्ताओं के हित में है. जेट एयरवेज को ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के अंतर्गत ले जाना अंतिम विकल्प है. जेट एयरवेज के ऊपर 8,200 करोड़ रुपये का कर्ज है और उसे मार्च अंत तक 1,700 करोड़ रुपये भुगतान करने हैं. अगर एयरलाइन धाराशायी होती है, 23,000 नौकरियां खतरे में होंगी.