तटबंधों को लांघ कर एक बार फिर नर्मदा मैय्या मालवा के पठार में आ पहुंचीं है। ओंकारेश्वर से महाकाल की परिक्रमा अब वो खुद करेगी। बस, भेरुघाट के पंपिंग स्टेशन से एक बटन दबाने की देर भर है, और हर सेंकड 5 हजार लीटर नर्मदा जल शिप्रा नदी में समा जाएगा।मोक्षदायनी नर्मदा और पुण्यसलील शिप्रा के मिलन का समय अब नजदीक है।ओंकार पर्वत से नर्मदा मैय्या शिप्रा धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। शुक्रवार को 24 किलोमीटर लाइन की टेस्टिंग पूरी कर ली गई। नर्मदा का पानी भेरुघाट तक आ चुका है। अब चार किलोमीटर लाइन की टेस्टिंग शेषष है। इसके बाद ग्रेविटी लाइन से पानी शिप्रा के उद्गम स्थल पहुंचेगा। यहां से 10 किलोमीटर नहर से पानी जिंजावती नाले से होते हुए शिप्रा नदी में जाकर मिलेगा। अगले तीन-चार दिनों में इसे उज्जैनी गांव तक लाने की तैयारी है। सभवत: 6 फरवरी को नर्मदा-शिप्रा लिंक प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया जाएगा। भेरुघाट के जंगलों में जहां-जहां से लाइन गुजरी है वहां अफसर रात दिन टेस्टिंग में जुटे है। पाइपों में अल्टासोनिक वेल्डिंग की जा रही है और वाल्व को परखा जा रहा है ताकि लिकेज की समस्या न आए। दो दिन पहले पानी जब गवालू गांव स्थित बीपीएस[ब्रेकिंग प्रेशर टैंक] तक पहुंचा था तो अफसरों ने नर्मदा मैय्या की पूर्जा अर्चना भी की थी।