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 मोदी सरकार के प्रयासों के बीच चालू वित्‍त वर्ष में डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन 10 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-जनवरी अवधि में डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन 7.89 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं सरकार ने चालू वित्त वर्ष में पहले 11.5 लाख करोड़ रुपये के कलेक्‍शन का अनुमान रखा था लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में इसे संशोधित किया गया.

इसके तहत लक्ष्य को 50,000 करोड़ रुपये और बढ़ा दिया गया. यानि अब यह लक्ष्‍य बढ़कर 12 लाख करोड़ के करीब हो गया है. इस लिहाज से डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन अब भी लक्ष्‍य से दूर है. हालांकि यह आंकड़े 16 मार्च तक के हैं.

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन 16 मार्च तक 10 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. टैक्‍स की चौथी और अंतिम एडवांस किश्त का भुगतान प्राप्त होने से टैक्‍स कलेक्‍शन इस स्तर पर पहुंचा है. हालांकि, पूरे देश से एडवांस टैक्‍स कलेक्‍शन का आंकड़ा आना अभी बाकी है. सूत्र के मुताबिक शुरुआती आकलन बताता है कि डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन 10 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है. पूरे वित्त वर्ष के दौरान 12 लाख करोड़ रुपये के डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन का लक्ष्य रखा गया है.

 इससे पहले बीते दिनों एक कार्यक्रम में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा था, ‘‘डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन के मोर्चे पर हम लक्ष्य पाने को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन इनडायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्शन में कुछ कमी आ सकती है. ’’

इनडायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन का मुख्‍य आधार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स (जीएसटी) होता है. लेकिन इस वित्त वर्ष में जीएसटी अब तक औसतन 95,000 करोड़ रुपये मासिक रहा है.वित्‍त वर्ष में सिर्फ 3 महीनों में जीएसटी कलेक्‍शन 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर सका. जीएसटी कलेक्‍शन में कमी की मुख्‍य वजह स्‍लैब में कई बार कटौती और छूट सीमा बढ़ाए जाना है.