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खास बातें

  • सभी धार्मिक विभागों को मिलाकर बनेगा एक विभाग।
  • बीआरटीएस हटाने पर विचार।
  • कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग।
  • फिजूलखर्च कम करना चाहती है सरकार।
मध्यप्रदेश सरकार अब एक्शन में नजर आ रही है। सरकार अपना एक और चुनावी वादा पूरा करते हुए ‘आध्यात्मिक विभाग’ के नाम से नया सरकारी महकमा बनाने जा रही है। शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यालय की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक सरकार ने विभिन्न धार्मिक विभागों को मिलाकर आध्यात्मिक विभाग बनाने का फैसला किया है। इसमें पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए देश के पहले ‘आनंद विभाग’ को भी समाहित किया जाएगा।

मध्यप्रदेश में धार्मिक मामलों से जुड़े फिलहाल धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग, आनंद विभाग, निदेशालय धार्मिक ट्रस्ट, मध्यप्रदेश तीर्थ मेला प्राधिकरण और राज्य आनंद संस्थान संचालित हैं। अब इन सबको समाहित कर एक नया विभाग बनाया जाएगा। मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे के बाद कमलनाथ सरकार ने फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है।

इसी के तहत कई अलग-अलग आध्यात्म से जुड़े विभागों के स्थान पर एक विभाग बनाया जा रहा है। इससे पहले मंत्रियों की शिकायत पर अधिकारियों के तबादले किए गए थे। अब नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी पहली ही बैठक में बीआरटीएस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि ये अनुपयोगी है और इसे बंद करने पर विचार किया जाएगा।

इसके साथ ही विधि मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं। आध्यात्मिक विभाग में आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। बता दें मध्यप्रदेश में हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने, राम वन गमन पथ के निर्माण और प्रदेशभर में गोशाला के निर्माण का वादा किया था।

बीआरटीएस हटाने पर विचार

नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने पहली ही बैठक में मिसरोद से बैरागढ़ तक 24 किमी लंबे बस रैपिड ट्रांजिट कॉरिडोर (बीआरटीएस) पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह उतना सफल नहीं हुआ है, जितनी उम्मीद की गई थी। इसलिए इसे हटाने पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि रैलिंग को हटाने पर सड़क चौड़ी हो जाएगी। इसपर उन्होंने अफसरों से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जमा करने को भी कहा है। इस मामले में अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

जयवर्धन सिंह का कहना है कि दिल्ली में भी बीआरटीएस नहीं है। वहीं भोपाल में भी इसकी जरूरत नहीं दिख रही। यह कॉरीडोर खाली पड़ा रहता है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जो भी निर्णय होगा वो रिपोर्ट पर चर्चा के बाद ही होगा।