ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल ने 2013 की गर्मियों में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज में हार झेलने के बाद अपने फैंस से एक वादा किया था, उन्होंने कहा था, ‘मैं ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट फैंस से वादा करता हूं कि हम एशेज खिताब दोबारा हासिल करके दिखाएंगे।’..और फिर वो वादा सिर्फ पूरा नहीं हुआ, बल्कि एतिहासिक अंदाज में हुआ। कंगारुओं ने इंग्लैंड को करारा जवाब देते हुए ना सिर्फ एशेज खिताब को सालों बाद दोबारा हासिल किया बल्कि 5-0 से क्लीन स्वीप करते हुए हासिल किया। यह जाहिर तौर पर ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट इतिहास में उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिनी जाएगी, जिसने एक बार फिर उन्हें खराब फॉर्म से उबारा और चैंपियंस के ट्रैक पर रखा।

मेलबर्न टेस्ट में जीत के बाद सीरीज में कंगारू 4-0 से आगे थे और अब बस सिडनी में एक आखिरी हुंकार की बारी थी। ऑस्ट्रेलिया ने ठीक वैसा ही किया और 5-0 का जादुई आंकड़ा हासिल किया। सिडनी टेस्ट की पहली पारी में स्टीवन स्मिथ के शतक और ब्रैड हैडिन के अर्धशतक के दम पर कंगारू शुरुआती झटकों से उबरते हुए 326 का लक्ष्य रखने में सफल हुए। इंग्लैंड से उम्मीद थी कि वो टक्कर देंगे लेकिन एक बार फिर कंगारू गेंदबाजों ने जलवा दिखाया और पहली पारी में मेहमान टीम को 155 रनों पर ढेर कर दिया। तेज गेंदबाज हैरिस, जॉनसन और सिडल ने 3-3 विकेट लिए। इसके बाद दूसरी पारी में कंगारुओं ने ऑल आउट होने से पहले अपने सलामी बल्लेबाज क्रिस रोजर्स के सीरीज में दूसरे शतक के दम पर 276 रन बनाए और 448 रनों का विशाल लक्ष्य निर्धारित कर दिया।

हैरत की बात ये थी कि अभी मैच का तीसरा ही दिन था, इंग्लैंड लंच के बाद खेलने उतरी, उम्मीद की जा रही थी कि वो कम से कम एक दिन तो टिकेंगे। लेकिन लंच के बाद शुरू हुई उनकी पारी चायकाल के कुछ ही समय बाद पूरी ढेर हो गई। कंगारुओं ने पहली पारी में जहां उन्हें 155 रन पर समेटा वहीं दूसरी पारी में मेहमान 166 रन पर सिमट गए। इस बार हैरिस ने 5, सदाबहार जॉनसन ने 3 और स्पिनर लियोन ने 2 विकेट लिए। इसके साथ ही भावुक कंगारू टीम ने मैदान में घूमकर अपने फैंस का अभिवादन स्वीकार किया और एक अंदाज में दुनिया में एलान भी किया, कि वो लौट आए हैं। मिचेल जॉनसन को सीरीज में 37 विकेटों के लिए मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा गया तो रयान हैरिस को सिडनी टेस्ट में 8 विकेट लेने के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया।

एशेज सीरीज के 140 साल के स्वर्णिम इतिहास में ऐसा तीसरी बार ही हुआ है कि किसी टीम ने क्लीन स्वीप किया हो। इससे पहले 1920-21 में और 2006-07 में कंगारुओं ने ये कारनामा किया था और अब माइकल क्लार्क ने अपनी टीम का नाम भी सुनहरे अक्षरों में सदा के लिए लिखा दिया है। जाहिर तौर पर इस जीत के बाद कंगारू टीम का पुनर्जन्म हुआ है और एक ढलती हुई चैंपियन टीम दोबारा सरताज बनने की राह पर निकल पड़ी है।