Amazon flipkart bleed with new ecommerce policy, 5000 cr stock piled up
सरकार की नई ई-कॉमर्स नीति से अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। अभी दोनों कंपनियों के पास करीब 5 हजार रुपये का स्टॉक पड़ा हुआ है। इन कंपनियों को अपना यह स्टॉक 1 फरवरी से पहले खत्म करना होगा। इसके साथ ही अब ऐसे व्यापारी अपना सामान इन प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच पाएंगे, जिन्होंने कंपनी में हिस्सेदारी भी खरीद रखी है।

अमेजन, क्लाउडटेल को लगा सबसे बड़ा झटका

अमेजन और उसकी डिलिवरी साझेदारी कंपनी क्लाउडटेल इंडिया को सबसे बड़ा झटका लगेगा। क्लाउडटेल अमेजन पर सबसे बड़ा विक्रेता है, जो कि तेज डिलिवरी और स्टॉक कंट्रोल पर नजर रखता है। अमेजन पर मौजूद छोटे व्यापारियों का आरोप है कि उनके उत्पादों को पहले बेचने के बजाए हमेशा बड़े व्यापारियों को तरजीह मिलती है।

क्लाउडटेल इंडिया और अमेजन की 51:49 के अनुपात में साझेदारी है। क्लाउडटेल ने पिछले वित्त वर्ष में करीब 7149 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था, जो 2016-17 के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा है।

खुदरा व्यापारियों पर नहीं पड़ेगा असर

ऑनलाइन बाजार के मनमाने कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा तैयार की जा रही नई ई-कॉमर्स नीति खुदरा व्यापारियों को लुभाने में नाकाम रह सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम के बावजूद सरकार को आगामी आम चुनावों में छोटे कारोबारियों का वोट पाने की उम्मीदों को झटका लग सकता है।

सरकार ने देश के छोटे और खुदरा कारोबारियों को राहत देने के लिए अगले साल 1 फरवरी से ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नई और सख्त नीति लागू करने की मंजूरी दी है। इस कदम से अमेजन और वालमार्ट के मालिकाना हक वाली फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के बंपर छूट की पेशकश और अनैतिक कारोबार पर रोक लगेगी।

फर्नीचर मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज रेवरी का कहना है कि वर्ष 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी ने विदेशी कंपनियों के खुदरा बाजार में आने से रोक लगाने और घरेलू छोटे कारोबारियों के संरक्षण का वादा किया था।

इसके बाद देश के करीब 2.5 करोड़ स्टोर मालिकों ने उनका समर्थन किया लेकिन सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री अपना वादा भूल गए। जानकारों का कहना है कि इस माह आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में हार से भाजपा आम चुनावों को लेकर सतर्क हो गई है।

कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि ई-कॉमर्स कंपनियों के बंपर छूट और कैशबैक जैसे ऑफर से कई छोटे कारोबारियों का मुनाफा आधा हो गया और उन्हें अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा।