कई पार्टियों के टिकट पर कई मर्तबा लंगथाबल विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके ओकराम ज्वॉय सिंह (ओ. ज्वॉय सिंह) इस बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. मणिपुर की सियासत में ओ. ज्वॉय सिंह विपक्ष में रहकर भी अहम भूमिका निभाते आए हैं. उनका ऊंचा राजनीतिक कद और लंबा-चौड़ा अनुभव बीजेपी के काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
इस बार लंगथाबल विधानसभा सीट से ज्वॉय सिंह का मुकाबला कांग्रेस नेता एल. तिलोतमा देवी और मणिपुर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एमएनडीएफ) के एम दिनेश से होगा.
सक्रिय राजनीति में आने की वजह बताते हुए 71 वर्षीय ज्वॉय सिंह ने कहा कि वह पुलिस अफसर थे, चूंकि राजनेता नीति निर्धारक होते हैं, इसलिए वह अपने तरीके से काम नहीं कर पा रहे थे. इसलिए लोगों के कल्याण के लिए मैंने राजनीति में कदम रखा.
मणिपुर के 1972 में राज्य बनने के बाद से यहां आठ बार विधानसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से सात बार ज्वॉय सिंह को जीत हासिल हुई है. वह 35 सालों से लंगथाबल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं जिसमें से 30 सालों तक उन्होंने एक मुखर विपक्षी नेता की भूमिका निभाई है. वह दो साल तक मंत्री पद पर भी रह चुके हैं. दो साल तक वह डिप्टी स्पीकर भी रहे.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. लंगथाबल विधानसभा सीट पर पहले चरण में ही चुनाव है.
मणिपुर विधानसभा की 38 सीटों पर चार मार्च को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए कुल 168 उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सभी 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. साथ ही 14 निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

बीजेपी की कोशिश है कि वो कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुए एंटी इंकंबेंसी का फायदा उठाए. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें घाटी में हैं. जबकि पहाड़ पर विधानसभा की 20 सीटें हैं. बीजेपी भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ इस बार मणिपुर में एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही हैं.

प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा रहा है. मणिपुर की क़रीब 31 लाख जनसंख्या में 63 प्रतिशत मेतई है. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से हैं.

बीजेपी यह कहती रही है कि कांग्रेस ने पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए कोई काम नहीं किया.