देश को नए साल का तोहफा देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी डी-5 का स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ सफल प्रक्षेपण कर दिया. इसके साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाले चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया.इसके प्रक्षेपण के साथ ही इसरो अमेरिका, रूस, जापान, चीनऔर फ्रांस के बाद दुनिया की छठी अंतरिक्ष एजेंसी बन गया, जिसने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ सफलता का स्वाद चखा है.

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के मिशन कंट्रोल रूम से इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन ने कहा, ‘मैं बेहद खुश हूं और मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि टीम इसरो ने इसे कर दिखाया है. भारतीय क्रायोजेनिक इंजन और स्टेज ने वैसा ही प्रदर्शन किया है, जैसा इस मिशन के लिए अनुमान जताया गया था. उसने जीसैट-14 संचार उपग्रह को कक्षा में ठीक तरीके से स्थापित कर दिया है.’

राधाकृष्णन ने यह बात प्रक्षेपण वाहन के 1982 किलोग्राम के जीसैट 14 उपग्रह को निश्चित कक्षा में स्थापित करने के तुरंत बाद कही. अनेक असफल प्रयासों के बावजूद स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ जीएसएलवी का प्रक्षेपण करना साल 2001 के समय से इसरो के लिए बड़ी चुनौती बना रहा है. सात प्रयासों में से सिर्फ चार सफल रहे हैं.